:
Breaking News

समस्तीपुर में दिव्यांगों की अनसुनी पुकार, शिविर बना मज़ाक

top-news
https://maannews.acnoo.com/public/frontend/img/header-adds/adds.jpg

समस्तीपुर : जिले में प्रखंड स्तर पर लगाए जाने वाले दिव्यांग शिविर सरकार की योजनाओं की सच्चाई उजागर कर रहे हैं। ये शिविर ‘हाथी के दांत’ साबित हो रहे हैं—दिखाने को कुछ और, असलियत में कुछ और।सरकार का दावा है कि हर प्रखंड स्तर पर लगाए गए शिविर में दिव्यांगजनों को तुरंत प्रमाणपत्र, पेंशन योजना और ट्राईसाइकल/सहायक उपकरण उपलब्ध कराने का प्रावधान है। नियम के अनुसार आवेदन देने के 30 दिनों के भीतर प्रमाणपत्र जारी होना चाहिए, लेकिन हकीकत यह है कि जिले में आयोजित अधिकांश शिविरों में एक भी दिव्यांग को समय पर लाभ नहीं मिला।सिर्फ सिंधिया प्रखंड का ही उदाहरण लें—लगभग एक वर्ष पूर्व यहां शिविर लगाया गया था, जिसमें दर्जनों दिव्यांगों के आवेदन लिए गए। लेकिन आज तक एक भी प्रमाणपत्र जारी नहीं हुआ। यही हाल कई अन्य प्रखंडों का है।शिविर में दिव्यांगों से कागजात तो लिए जाते हैं, पर बाद में उनका कोई अता-पता नहीं रहता। ऐसा लगता है जैसे सारा कागजी काम महज़ औपचारिकता पूरी करने के लिए किया जाता है और फिर उन फाइलों को कचरे की टोकरी में डाल दिया जाता है।स्थानीय दिव्यांगों की मानें तो उनकी पीड़ा सरकार तक पहुँच ही नहीं रही। एक दिव्यांग युवक ने आक्रोश जताते हुए कहा“हम लोग उम्मीद लेकर शिविर जाते हैं, लेकिन न तो सर्टिफिकेट मिलता है और न ही किसी अधिकारी की सुनवाई। हमारा समय और पैसा दोनों बर्बाद होता है। सरकार अगर मदद नहीं कर सकती तो ऐसे दिखावटी शिविर क्यों लगाती है?”एक अन्य दिव्यांग महिला ने कहा,हमको लगा था कि शिविर से जल्दी सुविधा मिलेगी, लेकिन एक साल से सिर्फ चक्कर ही काट रहे हैं। आज तक कोई लाभ नहीं मिला।”इस पूरे मामले में जब सिविल सर्जन से बात की गई तो उन्होंने भी स्पष्ट जवाब देने से परहेज़ किया और गोलमोल बातें कर पल्ला झाड़ लिया।अब बड़ा सवाल यह है कि जब सरकार खुद आंकड़ों में दावा करती है कि जिले के 20 हज़ार से अधिक दिव्यांगजनों को प्रमाणपत्र दिया जा चुका है, तो जमीनी स्तर पर हजारों लोग अब भी क्यों भटक रहे हैं? क्या सरकार और प्रशासन इस उपेक्षा पर आंखें मूंदे बैठे रहेंगे या फिर दिव्यांगों की तकलीफ सचमुच सुनी जाएगी?नियम बनाम हकीकत

नियम:

दिव्यांग प्रमाणपत्र आवेदन के 30 दिन के भीतर जारी होना चाहिए।
शिविर में पेंशन, ट्राईसाइकल, सहायक उपकरण उपलब्ध कराना अनिवार्य।जिला स्तर पर निगरानी समिति हर महीने समीक्षा करे।

हकीकत (समस्तीपुर):

एक साल बीतने के बाद भी सैकड़ों दिव्यांगों को प्रमाणपत्र नहीं।पेंशन और उपकरण सिर्फ कागजों में, लाभार्थी भटकते रह गए।अधिकारी गोलमोल जवाब देकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हैं।

https://maannews.acnoo.com/public/frontend/img/header-adds/adds.jpg

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *